説明
"अस्सलामु अलैकुम ज़ैनब, कैसी हो बेटा? कल तुम और आमिर आए थे इधर उमैर की तरफ, लेकिन उमैर को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। उमैर बहुत ज़िद करता है आमिर से। तुम लोग कल आए थे मोमानी से मिलने। कल इंशाअल्लाह हसनैन लोग जा रहे हैं, लेकिन क्या करें — उमैर बहुत गुस्से में है। और वो मुझसे बहुत झगड़ता भी है कि आमिर से बात मत करो। अब बेटा, जो भी मिलने आएगा, मैं उसे तुम्हारे घर भेज दूँगी, यहाँ मत आना — उमैर को पसंद नहीं है। ताया भी आते हैं, लेकिन उमैर मना करता है कि मत बुलाओ। और जब मामू उमराह से आए थे, तब भी उमैर ने ही घर पर तुम्हें लोगों को बुलाने से मना किया था। मैं बहुत परेशान हूँ — उमैर ने बहुत परेशान किया है। बस बेटा, अपना ख्याल रखना, फिर मिलेंगे इंशाअल्लाह। मैंने नमाज़ भी नहीं पढ़ी — बहुत ठंड लग रही है और तबीयत भी ठीक नहीं चल रही। अच्छा बेटा, मैं नमाज़ पढ़कर फिर सूरह मुल्क पढ़कर सो जाऊँगी। अपना बहुत ख्याल रखना, फिर मिलते हैं। अल्लाह हाफ़िज़।"