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छुट्टियों में खुशियों का बसेरा एक घर था वो नानी का, तीन चार धोखे खाने के बाद पता चला कि टॉम नहीं जैरी ही हरामी था । 8th class तक तो मैं यहीं सोचता रहा कि मंगलसुत्र पहनाने से बच्चे होते है । सबसे ज्यादा झूठ मैने बचपन में ही बोले है और लोग कहते है बच्चे मन के सच्चे होते हैं । जिस दिन सोना बनने के लिए दांत तकिए के नीचे रखा उसी दिन मर गई थी सारी परिया । आधा घंटा डाट सुनने के बाद तीन पेंसिल आधा लीटर दूध में मिलाई लेकिन फिर भी इरेजर नहीं बनी । तीन बार मकड़ियों ने काटा है लेकिन आज तक मैं स्पाइडर मैन नहीं बना । घर घर के खेल में कुछ और ही होता था, सोता मै सोफे पर ही था और सुबह कही और ही रोता था। स्कूल की वो प्रेयर जो मुझे आज तक नहीं आई वो मैं दुबारा गाना चाहता हूँ , सच कहूं तो मैं अपने बचपन में वापस जाना चाहता हूँ
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जुजुच्चु समाज में शक्ति का संतुलन बहुत जरूरी है। अगर हम अपनी ताकत को नियंत्रित नहीं कर पाए तो आम लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। हमारी कवच तकनीक ही वो आखिरी रक्षा है जो दुनिया को बचाए रख सकती है।