描述
2009 में, भारत की एक बड़ी आईटी कंपनी के मालिक ने एक चिट्ठी लिखी। उसमें उन्होंने माना कि उन्होंने कंपनी के पैसों का गलत हिसाब दिखाया था — पूरे 7,000 करोड़ रुपये का। कुछ ही मिनटों में कंपनी के शेयर गिर गए, निवेशकों का भरोसा टूट गया, और यह बन गया भारत का सबसे बड़ा कंपनी वाला घोटाला। --- 1987 में रामालिंगा राजू नाम के एक व्यक्ति ने सत्यम कंपनी शुरू की। उस समय भारत का कंप्यूटर और आईटी काम तेज़ी से बढ़ रहा था। राजू ने धीरे-धीरे कंपनी को बड़ा बनाया, और विदेशी कंपनियों से भी काम मिलने लगा। 2001 तक सत्यम अमेरिका के शेयर बाजार में भी जुड़ चुकी थी, और इसमें 50,000 से ज्यादा लोग काम करने लगे थे। लेकिन कंपनी के अंदर बहुत कुछ गलत हो रहा था। राजू ने बैंक के नकली कागज बनाए झूठे बिल और कमाई के आंकड़े दिखाए कंपनी में काम करने वाले लोगों की संख्या भी ज़्यादा बताई गई हर तीन महीने में कंपनी अपने फायदे को बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रही थी, ताकि लोग उसमें पैसा लगाते रहें। राजू ने खुद कहा था — "अब मैं उस शेर पर बैठ गया हूं, जिससे उतरना मुश्किल है।" --- 7 जनवरी 2009 को राजू ने कंपनी के अधिकारियों को एक चिट्ठी भेजी। उसमें उन्होंने माना कि कंपनी में जो पैसे दिखाए जा रहे थे, वो असली नहीं थे। ₹7,136 करोड़ का घोटाला सामने आया। शेयर मार्केट में हंगामा हो गया। सत्यम के शेयर बहुत तेजी से गिर गए। कर्मचारी घबरा गए, और कंपनियों ने सत्यम से अपने काम हटा लिए। --l घोटाले के बाद राजू और उनके भाई को पुलिस ने पकड़ा। सरकार ने जांच शुरू करवाई। भारत सरकार ने कंपनी को बचाने के लिए उसे दूसरी कंपनी — टेक महिंद्रा — को बेच दिया। 2015 में कोर्ट ने राजू को 7 साल की जेल की सजा सुनाई। --- सत्यम की कहानी सिर्फ एक घोटाले की नहीं है — ये एक सीख है। अगर आप ऐसी और कहानियां जानना चाहते हैं, तो इस चैनल को ज़रूर सब्सक्राइब करें।